मुद्रा योजना का विवरण :
दिनांक 08 अप्रैल, 2015 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा निर्णायक कदम के रूप में वित्तीय मध्यथों जैसे बैंक इत्यादि के माध्यम से विकास एवं पुनर्वित्त पोषण हेतु एक नयी वित्तीय इकाई के रूप में सूक्ष्म इकाई विकास एवं पुनर्वित्त एजेंसी लि. (मुद्रा) का शुभारंभ किया गया, जो विनिर्माण, व्यापार एवं सेवा क्षेत्र में सबसे छोटे सूक्ष्म उद्यमों को भी ऋण देने के व्यवसाय में है. मुद्रा गतिविधियों के उद्देश्य से सूक्ष्म इकाई की परिभाषा एमएसएमई अथवा अन्य कोई गतिविधि से सम्बद्ध नहीं होनी चाहिए. इस खंड में विनिर्माण, व्यापार और सेवाओं में मुख्यतया गैर–फार्म उद्यम शामिल हैं, जिनकी ऋण आवश्यकताएं रू. 10/- लाख तक है.
योजना को सहयोग देने हेतु एवं भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार “प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (मुद्रा)” पीएमएमवाई सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया में दिनांक 08.04.2015 से प्रारंभ की गयी.
वैयक्तिकों की सूक्ष्म ईकाइयां / स्वामित्व/ साझेदारी फर्में एवं लघु विनिर्माण ईकाइयों के रूप में संचालित कम्पनी, व्यावसायिक एवं सेवाप्रदाता ईकाइयां रु. 10 लाख तक की वित्तीय आवश्यकताओं के साथ ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत कवर किए जाने हेतु पात्र हैं.
योजना के आरम्भ से सभी तीन श्रेणियों के अंतर्गत हमारे बैंक द्वारा स्वीकृत प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की वर्षवार स्थिति निम्नानुसार है :

भारत का कोई भी व्यक्ति udyamimitra.in पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से अपनी सुविधानुसार नजदीकी शाखा का चयन करके मुद्रा ऋण ले सकता है और परियोजना से संबंधित दस्तावेजों को मैनुअल रूप से जमा करने के लिए नजदीकी शाखा में जा भी सकता है. मुद्रा योजना के अंतर्गत ऋण लेने के लिए कोई भी सम्पार्श्विक प्रतिभूति अथवा किसी गारंटर की आवश्यकता नहीं है. आवेदन फार्म बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध है.
फोटोग्राफ सहित कुछ उधारकर्ताओं की सफलता की कहानी निम्नलिखित है :
इकाई विवरण
उधारकर्ता का नाम एवं पता: मे. मलस्वाम हेंडलूम,
जोटलॉग, आइजोल
शाखा का नाम एवं पता: आइजोल शाखा, जार्कवत मेन स्ट्रीट,
आइजोल, मिजोरम-796001.
ऋण की स्वीकृति की तिथि : 25/02/2016



इकाई का विवरण :
इकाई मुख्यत: हथकरघा मदों के विक्रय से संबंद्ध है. मिजोरम राज्य में मिजो जनजाति की बहुलता होने से, हाथ से पारंपरिक बुनाई तरीके से बनी हथकरघा सामग्री का उत्पादन बहुत लोकप्रिय है. अत: पूरे राज्य में हथकरघा वस्त्र एवं कपड़े का उत्पादन बहुत अधिक है. तथापि, इन उत्पादों का जन सामान्य के लिए, सामान्य बाजार में एवं अन्य राज्यों में प्रदर्शन हेतु एक अंतर बना हुआ है. अत: मलस्वाम हथकरघा मुख्यत: उत्पादक एवं उपभोक्ता के बीच के अंतर को भरने हेतु केन्द्रित है. इकाई अपने स्वयं के निर्माताओं एवं लघु उत्पादकों दोनों से उत्पाद संग्रहित कर एवं बाजार में आपूर्ति करती है. उत्पाद को बाजार तक पहुंचाना ही इस इकाई का मुख्य उद्वेश्य है.
उधारकर्ता कैश क्रेडिट खाता संख्या 3523123449 के रूप में संतोषजनक तौर पर लेन देन करते हैं. वे दैनिक आधार पर लेन देन करते हैं, जो वर्ष 2016-17 में कुल टर्न ओवर रु. 12002448.00 ( एक करोड़ बीस लाख दो हजार चार सौ अड़तालीस मात्र) है.
यह इकाई आय एवं विक्रय के सृजन के साथ साथ कुछ लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रही है. अभी तक, इन्होंने अभी तक 4 लोगों को रोजगार दिया है, जोकि बहुत ही सक्रिय हैं एवं सौंपे गए दायित्व को सकारात्मक तरीके से बखूबी निभाते हैं.
उधारकर्ता के रूप में पुष्टि होने, मासिक विक्रय एवं लाभ मौसम के एवं त्यौहार प्रकृति के आधार पर घटता बढ़ता रहता है. सामान्य दिनों में, उनको लगभग 120000/- ( एक लाख बीस हजार केवल) का शुद्ध लाभ होता है. लेकिन त्यौहारों के मौसम में शुद्ध लाभ रु. 350000/- (तीन लाख पचास हजार मात्र) तक बढ़ जाता है.
यह सफलता की कहानी क्यों है :
उद्यमवृत्ति के प्रत्येक क्षेत्र में, पूंजी व्यय की आवश्यकता होती है, चाहे किसी व्यक्ति के पास व्यवसाय का बहुत अच्छा नुस्खा ही क्यों न हो. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के आरंभ होने के साथ ही, बैंकों से वित्तीय सहायता आसानी से प्राप्त होने की आशा जागृत हुई थी. ठीक इसी तरह, मे. मलस्वाम हेंडलूम को स्थापित करने में पूंजी व्यय की कमी हो रही थी. लेकिन सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया की आइजोल शाखा से वितीय सहायता की प्राप्ति के कारण, उनके स्वयं को उद्यम फार्म के सपने को साकार होने का अवसर प्राप्त हुआ था. शुरुआत में, उपभोक्ताओं के साथ कम सम्पर्क आधार होने के कारण, बिक्री एवं लाभ की प्राप्ति में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा था. लेकिन कुछ समय पश्चात, उन्होंने उपभोक्ताओं के साथ संबंध स्थापित करना शुरु कर दिया, जिससे एक सम्पर्क आधार स्थापित हो गया, जिसने इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
वर्तमान समय में, मे. मलस्वाम हेंडलूम, एक संतोषजनक आधार पर अपना व्यवसाय चला रहा है, लगभग रु. 120000.00 का न्यूनतम शुद्ध लाभ अर्जित कर रहा है. साथ ही, यदि उत्सवों का समय हो, तो वे मासिक रु. 350000.00 तक का शुद्ध लाभ प्राप्त हो जाता है. आय एवं लाभ उगाही के अलावा, यह इकाई स्थानीय मॉर्टर पेस्टल इकाईयों द्वारा उत्पादित सामग्रियों के लिए डिलिवरी चैनल भी चलाता है, जो उन्हें अपने उत्पादों को बेचने का और एक मौका देता है. यह छोटी इकाई 4 व्यक्तियों को रोजगार भी देती है, जो संख्या में कम है, लेकिन इससे संबंधित व्यक्तियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
उनके व्यवसाय की बिक्री एवं कार्य निष्पादन, बैंक स्तर पर केवल उनके लेनदेन का एक नमूना है, जो रु. 12002448.00 (रुपये एक करोड़ बीस लाख दो हजार चार सौ अड़तालीस केवल) का कुल वार्षिक कारोबार दर्शाता है. और साथ ही, वे दैनिक आधार पर अपना लेनदेन निष्पादित करते हैं, जिस कारण वे बैंक के साथ एक अच्छा संबंध बनाए रखते हैं.
इस इकाई की उपलब्धियां एवं कार्य निष्पादन के संबंध में, यह देखा जा सकता है कि कैसे उन्होंने अपने सपने को पूरा किया और समाज में एक प्रतिष्ठा प्राप्त की.
सफलता का मुलमंत्र: कठिन परिश्रम और एकाग्रता आपको लक्ष्य की ओर ले जाते हैं.
मुद्रा योजना – सफलता की कहानी :
नाम: श्रीमती ममता शर्मा, उम्र – 34 वर्ष, कार्य : जरदोजी कंला (बटुआ बनाना)
निवासी : मकान नम्बर 25, फतेहगढ़, भोपाल
सर, मैं ममता शर्मा, जरदोजी कंला (बटुआ बनाना) का कार्य करती थी, गरीबी के कारण, हमेशा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था एवं व्यवसाय के लिए स्थानीय साहूकारों से ज्यादा ब्याज पर रकम उधार लेना पड़ता था, मुनाफे की अधिकतर रकम साहूकार का ब्याज चुकाने में चली जाती थी, जिसके कारण परिवार का भरण पोषण एवं व्यवसाय चलाना अत्यधिक मुश्किल हो रहा था.
इसी दौरान मालूम चला कि भारत सरकार द्वारा छोटे व्यवसायियों के लिए मुद्र ऋण योजना का प्रारंभ किया गया है, इसी संदर्भ में मैंने सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया की इमामीगेट शाखा, भोपाल के शाखा प्रबंधक से सम्पर्क किया, उन्होंने मुझे मुद्रा योजना के बारे में विस्तार से समझाया, मुझे उनसे मिलकर एक आशा की किरण दिखाई दी और ऐसा लगा कि अब हमारे परिवार की काफी समस्याएं कम हो जाएगी और व्यवसाय भी ठीक प्रकार से चलने लगेगा.
सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया की इमामीगेट शाखा द्वारा मुझे तुरंत रु. 40,000/- (रुपये चालीस हजार मात्र) के ऋण की सहायता दी, इसमें मेरा कोई खर्च भी नहीं हुआ, मुझे शाखा प्रबंधक द्वारा खाते के संचालन के बारे में विस्तार से बताते हुए, व्यवसाय को सुचारु रूप से चलाने के लिए प्रेरित किया गया. ऋण की सहायता मिलने से मुझे कच्चा माल पहले से ज्यादा खरीदने का अवसर मिला, मेरे पास तैयार माल का स्टॉक भी मांग के अनुसार तैयार रहने लगा, ब्याज का कम भुगतान करने एवं आय बढ़ने से मेरा परिवार अच्छी तरह से चलने लगा और व्यवसाय से प्रतिमाह लगभग 1000/- रुपये की शुद्ध बचत भी होने लगी. मैंने अपने परिवार के अन्य सदस्यों को भी इस काम में लगा लिया, अब मेरा परिवार न सिर्फ अपनी जरुरतों को पूरी कर रहा है, वरन खुशहाल जीवन भी व्यतीत कर रहा है. इसके लिए भारत सरकार और सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया को बहुत-बहुत धन्यवाद.